paravah nahin chahe zamana kitana bhi khilaf ho chaloonga usi rah par jo sidhi aur saaph ho परवाह नहीं चाहे जमाना कितना भी खिलाफ हो चलूँगा उसी राह पर जो सीधी और साफ हो
कल का दिन किसने देखा है तो आज का दिन भी खोये क्यों जिन घडि़यों में हँस सकते हैं उन घड़ियों में रोये क्यों