कौन ये कहता है, ख़ुदा नज़र नहीं आतावही तो नज़र आता है जब कुछ नज़र नहीं आतासजदों के इवज़ फ़िरदौस मिले ये बात मुझे मंज़ूर नहींबे लौस़ इबादत करता हूँ बंदा हूँ तेरा मज़दूर नहीं