aashikon ke mahaboob ke pairo ki dhool hoon
haan main ek laal gulaab ka phool hoon
आशिकों के महबूब के पैरो की धूल हूँ
हाँ मैं एक लाल गुलाब का फूल हूँ
मेरी दीवानगी की कोई हद नहीं
तेरी सूरत के सिवा मुझे कुछ याद नहीं
मैं गुलाब हूँ तेरे गुलशन का
तेरे सिवाए मुझपर किसी का हक़ नहीं
गुलाब की खूबसूरती भी फिकी सी लगती हैं
जब तेरे चेहरे पर मुस्कान खिल उठती हैं
यूँही मुस्कुराते रहना मेरे प्यार तू
तेरी खुशियों से मेरी साँसे जी उठती हैं
from : Rose Day Shayari