मेरी हर शायरी दिल के दर्द को करता बयां,
तुम्हारी आँख न भर आये कही पढ़ते पढ़ते।
इन्हे अपना भी नहीं सकता मागत इतना क्या कम है,
कुछ मुद्दतें हसीं खवाबो मैं खो कर जी लिया हमने।
कबूल ऐ करते हे तेरे कदमो मे गिरकर,
सजाए मौत मनजूर है मगर अब मोहब्बत नही करनी।
from : Sad Shayari