कबीर दास का जीवन परिचय: ऐसा मना जाता है की संत कबीर दास जी का जन्म काशी में हुआ, जन्म: विक्रमी संवत 1455 (सन् 1398 ई ) वाराणसी, (उत्तर प्रदेश, भारत) ग्राम: मगहर (उत्तर प्रदेश, भारत) मृत्यु: विक्रमी संवत 1551 (सन् 1494 ई ) में हुआ।
कवी कबीर दास एक महान समाज सुधारक के रूप में कार्य करते रहे. महंत संत कबीर दास जी का जन्म ऐसे समय में हुआ जब भारतीय समाज और धर्म का सवरूप अन्धकारमय हो रहा था. कबीर दस अपने समय में उच्च कोटि के संत थे, परन्तुं
कबीर दास पढ़ें लिखे नहीं थे।
कबीर अपना बचपन बड़े दुखी के साथ बिताया, इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था परन्तु इनकी माँ ने लोक लाज के भय से इन्हे लहरतारा नामक तालाब के किनारे छोड़ दिया, इस प्रकार इनका पालन जुलाहा नामक दम्पति ने की उन्होंने अपनी सारी धार्मिक शिक्षा रामानंद नामक गुरु से ली तथा मस्जिदों में नमाज पढ़ना, मंदिरों में माला जपना, तिलक लगाना, मूर्तिपूजा करना रोजा या उपवास रखना आदि को कबीर इन सबका विरोध किये। कबीर सादगी से रहना, सादा भोजन करना पसंद करते थे। अपनी रचनाओ के माध्यम से भी वो समाज को इन आडंबरों से मुक्त करना चाहते थे। वो अपने नियमित जीवन मे भी इस तरह के आडंबरों से बहुत दूर रहते थे।
सन 1518 ई. में कबीरदास जी का मगहर में निधन हो गया, तब हिन्दू और मुसलमान में विवाद हो गया, हिन्दू अपनी प्रथा के अनुसार शव को जलाना चाहते थे जबकि मुस्लिम उनके शव को दफनाना चाहते थे। इस स्थित में जब दोनों लोगों ने चादर उठाकर देखा तो शव नहीं परन्तु फूल पड़े थे हिन्दू- मुसलमान दोनों ने फूलों को बाँट लिया और अपने विश्वास और आस्था के अनुसार उनका संस्कार किया।