मोहब्बत है या नशा था जो भी था कमाल का था,रूह तक उतारते उतारते जिस्म को खोखला कर गया।
तुम मुझे जितनी इज़्ज़त दे सकते थे दे दी,अब तुम देखो मेरा सबर और मेरी ख़ामोशी।
कहाँ मिलता है अब कोई समझने वाला,जोभी मिलता है समझा के चला जाता है।
from : Sad Shayari