mujhe tujhse nahi tere andar baithe rab se hai tum to bas jariya hai meri ibadat ka मुझे तुझसे नहीं तेरे अंदर बैठे रब से है तुम तो बस जरिया है मेरी इबादत का
हर तनहा रात में एक नाम याद आता है कभी सुबह कभी शाम याद आता है जब सोचते है कर ले दोबारा मोहब्बत फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है