तरस गए हैं हम तेरे मुह से कुछ सुनने को हम,
प्यार की बात ना सही कोई शिकायत ही कर दे।
तुम नहीं हो पास मगर तन्हाँ रात वही है,
वही है चाहत यादों की बरसात वही है,
हर खुशी भी दूर है मेरे आशियाने से,
खामोश लम्हों में दर्द-ए-हालात वही है।
करने लगे जब शिकवा उससे उसकी बेवफाई का,
रख कर होंट को होंट से खामोश कर दिया।