sambhav aur asambhav ke beech ki duri,
weqti ke nishchay par nirbhar karti hai.
संभव और असंभव के बीच की दुरी,
वेक्ति के निश्चय पर निर्भर करती है।
जाने कब आपकी आँखों से इजहार होगा,
आपके दिल में हमारे लिए प्यार होगा,
गुजर रही है ये रात आपकी याद में,
कभी तो आपको भी हमारा इंतज़ार होगा।
from : Good Night Shayari