सुनी थी हमने ग़ज़लों में जुदाई की बातें,अब खुद पे बीती तो हक़ीक़त का अंदाज़ा हुआ।
मैं चाहा था की जखम भर जाये,ज़ख्म ही ज़ख्म भर गए मुझ मैं।
तू खुश है मेरे बिना ही तो शिकायत कैसी,मैं तुझे खुश भी ना देखूं तो मोहब्बत कैसी।
from : Sad Shayari