ज़ख़्म दे कर ना पूछ तू मेरे दर्द की शिद्दत,
दर तो फिर दर्द है काम क्या ज्यादा क्या।
मुद्दतों बाद भी नहीं मिलते हम जैसे नायाब लोग,
तेरे हाथ क्या लग गए तुमने तो हमे आम समझ लिया।
बहुत थे मेरे भी इस दुनिया मेँ अपने,
फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए।
from : Sad Shayari