aap ke baad har

aap ke baad har

आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई

वफा की उम्मीद ना करो उन लोगों से
जो मिलते हैं किसी और से होते है किसी और के

तमाशा करती है मेरी जिंदगी
गजब ये है कि तालियां अपने बजाते हैं

Shayari Of Gulzar