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Shayari Of Gulzar

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Gulzar Shayari in Hindi

कोई अटका हुआ है पल शायद
वक़्त में पड़ गया है बल शायद

आ रही है जो चाप क़दमों की
खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद

बदल जाओ वक़्त के साथ या वक़्त बदलना सीखो
मजबूरियों को मतं कोसो हर हाल में चलना सीखो

उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और
ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे

Gulzar Shayari in Hindi

Gulzar Ki Shayari

कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना

हम तो अब याद भी नहीं करते
आप को हिचकी लग गई कैसे

दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा
इसका शायद कोई हल नहीं हैं

हसरत थी दिल में की एक खूबसूरत महबूब मिले
मिले तो महबूब मगर क्या खूब मिले
Gulzar Ki Shayari

Gulzar Shayari

बहुत अंदर तक जला देती हैं
वो शिकायते जो बया नहीं होती

सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं

बहुत अंदर तक जला देती हैं
वो शिकायते जो बया नहीं होती

मैंने दबी आवाज़ में पूछा मुहब्बत करने लगी हो
नज़रें झुका कर वो बोली बहुत
Gulzar Shayari

Guljar Shayri in Hindi

इतने लोगों में कह दो अपनी आँखों से
इतना ऊँचा न ऐसे बोला करे, लोग मेरा नाम जान जाते हैं

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया

आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
Guljar Shayri in Hindi

Guljar Ki Shayari

काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी

हाथ छुटे तो भी रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख से रिश्ते नहीं तोड़ा करते

उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर
चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले

कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया
जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की
Guljar Ki Shayari
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