baki na rahe

baki na rahe

कर जा कुछ ऐसा के जीने का अफसोस बाक़ी ना रह जाए
कर दिल की हर हसरत पूरी कोई अरमान बाक़ी ना रह जाए

जिंदगी मे सबको सबकुछ मिले बेशक़ ये ज़रूरी नहीं हैं लेकिन
जो मिला है उसकी भी कहीं कोई चाहत बाक़ी ना रह जाए

मुसलसल बदलते दौरा से भी मै बख़ूबी वाकिफ़ हूँ निश़ात
सँभलना कहीं कोई फिर भी नया तजुर्बा बाक़ी ना रह जाए

मैंने तंज़ ये दुश्मन-ए-जाँ के तो मुस्कुरा के सह लिए है मगर
देखना अपनो के दिए कोई घाव जिस्म पे बाक़ी ना रह जाए

Shayari Of Gulzar