dilo ki imarto me

dilo ki imarto me

दिलों की इमारतों में कहीं बंदगी नहीं
पत्थर की मस्जिदों में ख़ुदा ढूँढते हैं लोग

बात सजदों की नहीं ख़ुलूस ए दिल की होती है इक़बाल
हर मैख़ाने में शराबी और हर मस्जिद में नमाज़ी नहीं होता

Allama Iqbal Shayari