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Allama Iqbal Shayari

Allama Iqbal Shayari allows readers to express their inner feelings with the help of beautiful Sher. Allama Iqbal's poetry, Iqbal ki Shayari, ghazals, and quotes are popular among those who love to read good Shayari. You can read 2 and 4 line shayari and share allama iqbal shayari with images easily with your friends and family members, including your loved ones Read the most recent Hindi by Iqbal Shayari.

Poetry Of Allama iqbal in Urdu

जफ़ा जो इश्क़ में होती है वो जफ़ा ही नहीं
सितम न हो तो मोहब्बत में कुछ मज़ा ही नहीं

नशा पिला कर गिराना तो सब को आता है
मज़ा तो जब है के गिरतों को थाम ले साक़ी
Poetry Of Allama iqbal in Urdu

mere bachpan ke din bhi

मेरे बचपन के दिन भी क्या ख़ूब थे इक़बाल
बेनमाज़ी भी था और बेगुनाह भी

दिल से जो बात निकलती है अस़र रखती है
पर नहीं ताक़ते परवाज़ मगर रखती है
mere bachpan ke din bhi

Allama iqbal Shayari in Urdu

न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए
जहाँ है तेरे लिए तू नहीं जहाँ के लिए

सुबह को बाग़ में शबनम पड़ती है फ़क़त इसलिए
के पत्ता पत्ता करे तेरा ज़िक्र बा वजू हो कर
Allama iqbal Shayari in Urdu

Allama iqbal Sher

हँसी आती है मुझे हसरते इंसान पर
गुनाह करता है ख़ुद लानत भेजता है शैतान पर

मैं तुझ को तुझ से ज़्यादा चाहूँगा
मगर शर्त है अपने अंदर मेरी जुस्तजु पैदा कर
Allama iqbal Sher

Allama iqbal Poetry

क्यों मन्नतें माँगता है औरों के दरबार से इक़बाल
वो कौन सा काम है जो होता नहीं तेरे परवरदिगार से

अल्लाह को भूल गए लोग फ़िक्र रोज़ी में
तलाश रिज़्क़ की है राज़िक का ख़्याल ही नहीं
Allama iqbal Poetry

sajda khaliq ko

सजदा खालिक़ को भी इबलीस से याराना भी
हश्र में किस से मोहब्बत का सिला माँगे गा

ख़ुदी को कर बुलंद इतना के हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
sajda khaliq ko

dilo ki imarto me

दिलों की इमारतों में कहीं बंदगी नहीं
पत्थर की मस्जिदों में ख़ुदा ढूँढते हैं लोग

बात सजदों की नहीं ख़ुलूस ए दिल की होती है इक़बाल
हर मैख़ाने में शराबी और हर मस्जिद में नमाज़ी नहीं होता
dilo ki imarto me

dil me khuda ka hona

दिल में ख़ुदा का होना लाज़िम है इक़बाल
सजदों में पड़े रहने से जन्नत नहीं मिलती

दिल पाक नहीं तो पाक हो सकता नहीं इंसाँ
वरना इबलीस को भी आते थे वुज़ू के फ़रायज़ बहुत
dil me khuda ka hona

tere azad bando ki

तेरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनिया
यहाँ मरने की पाबंदी वहाँ जीने की पाबंदी

यूँ तो ख़ुदा से माँगने जन्नत गया था मैं
करबो बला को देख कर निय्यत बदल गयी
tere azad bando ki

kon kehta hai

कौन ये कहता है, ख़ुदा नज़र नहीं आता
वही तो नज़र आता है जब कुछ नज़र नहीं आता

सजदों के इवज़ फ़िरदौस मिले ये बात मुझे मंज़ूर नहीं
बे लौस़ इबादत करता हूँ बंदा हूँ तेरा मज़दूर नहीं
kon kehta hai
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