मैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिबयह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगीबे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिबजिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है