सोचा मोहब्बत में लुट जाए छोड़ के सारी दुनिया को हम
उसकी दुनिया में बस जाए नज़र पड़ी जब आँखों पर
पाया कितनी सच्चाई है झीलों की नगरी में जैसे
कोई जलपरी रहने आई है उसकी आँख के काजल ने
मुझको सताया रातभर नींद से जागा तो फिर पाया
जन्नत में रात बिताई है नज़रें अटक गई थी अब
उसके नाजुक होठों पर जैसे बाग़ की सुन्दर तितली
भँवरे से मिलने आई है उसके भँवर पड़े गालों में
दिल कुछ उलझा -उलझा है रूप सलोना देख लगा यूँ
माली ने बगिया सजाई है उस बगिया की वो रानी है
मैं भँवरा दीवाना सा मेरे दिल में बसी वो ऐसे
जैसे कोई साँस समाई है जैसे कोई साँस समाई है