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मैंने कोरोना में लोगो का रोना देखा है
लोगो के उम्मीदों का खोना देखा है
लाचार मजदूरों को रोते देखा है
गिरते पड़ते चलते और सोते देखा है
पिता को सूनी आंखों से तड़पते देखा है
तो मां की गोद में बच्चे को मरते देखा है
गरीबों का खुलेआम रोष देखा है
तो मध्यमवर्ग का मौन आक्रोश देखा है
गरीबों को अस्पतालों में लुटते देखा है
तो निर्दोषों को बेवजह पिटते देखा है
अल्लाह भगवान की दुकानों का बंद भी होना देखा है
तो रोना रोती सरकारों का अंत भी होना देखा है
कोई तो है जो मुझसे बहुत प्यार करती है
अपने प्यार को बहुत इकरार करती है
चैन न उसको बिन मेरे न मुझको बिना उसके
बने दोनों एक दूजे को कहते प्यार इसी को
पकड़ रखा है हाथ मेरा न छोड़ेगी साथ मेरा
दुवाए देती है मुझको कहती तुम नाथ हो मेरा
हरदम वो मेरे दिलो दिमाग मे रहती है
कोई तो है जो मुझसे बहुत प्यार करती है
ख्वाबो मे रातो को वो अक्सर आती है
बागो बहारो पकड़ हाथ भाव गीत गाती है
कोरे कागज उसकी तसबीर नजर आना
ठंडी हवा के झोको जैसा आना गुजर जाना
मिलाकर कदम से कदम साथ मेरे चलती है
कोई तो है जो मुझसे बहुत प्यार करती है
जहा भी जाऊ साथ उसका छूटता नहीं
ऐसा महबूब जो कभी मुझसे रूठता नहीं
मुस्कुराने से उसके है जिंदगी मे हरी भरी
लहरा के बलखा के आंचल उड़ाके चली कही
मेरे लिए सिर्फ मेरे लिए जीती और मरती है
कोई तो है जो मुझसे बहुत प्यार करती है
मेरे मन के भावो को अपनी आवाज देना
उतरकर दील की गहराइयो संवाद देना
मेरा प्यार है मेरी कविता सदा साथ रहती है
मुझको दुनिया मिलाती दुनिया मुझसे मिलती है
सोचा मोहब्बत में लुट जाए छोड़ के सारी दुनिया को हम
उसकी दुनिया में बस जाए नज़र पड़ी जब आँखों पर
पाया कितनी सच्चाई है झीलों की नगरी में जैसे
कोई जलपरी रहने आई है उसकी आँख के काजल ने
मुझको सताया रातभर नींद से जागा तो फिर पाया
जन्नत में रात बिताई है नज़रें अटक गई थी अब
उसके नाजुक होठों पर जैसे बाग़ की सुन्दर तितली
भँवरे से मिलने आई है उसके भँवर पड़े गालों में
दिल कुछ उलझा -उलझा है रूप सलोना देख लगा यूँ
माली ने बगिया सजाई है उस बगिया की वो रानी है
मैं भँवरा दीवाना सा मेरे दिल में बसी वो ऐसे
जैसे कोई साँस समाई है जैसे कोई साँस समाई है