न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिएजहाँ है तेरे लिए तू नहीं जहाँ के लिएसुबह को बाग़ में शबनम पड़ती है फ़क़त इसलिएके पत्ता पत्ता करे तेरा ज़िक्र बा वजू हो कर