Hindi Suprabhat Messages

priwar ghadi

कठिनाई से क्यूं डरते हो, तुम ही आज, भविष्य भी तुम
तुम ही चाँद, सूरज भी तुम, तुम धरती और जल भी तुम
तुम ही धार हो, तुम किनार हो, तुम माझी और नाव हो तुम
लिख सकते हो भविष्य अपना, हाथों की लकीर हो तुम

आज कुछ घबराये से लगते हो
ठंड मे कपकपाये से लगते हो
निखार कर आई है सुरत आपकी
बहुत दिनों बाद नहाये से लगते हो

Suprabhat