rishte nahi toda karte

rishte nahi toda karte

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है

आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इस की भी आदमी सी है

Shayari Of Gulzar