मैंने कोरोना में लोगो का रोना देखा है
लोगो के उम्मीदों का खोना देखा है
लाचार मजदूरों को रोते देखा है
गिरते पड़ते चलते और सोते देखा है
पिता को सूनी आंखों से तड़पते देखा है
तो मां की गोद में बच्चे को मरते देखा है
गरीबों का खुलेआम रोष देखा है
तो मध्यमवर्ग का मौन आक्रोश देखा है
गरीबों को अस्पतालों में लुटते देखा है
तो निर्दोषों को बेवजह पिटते देखा है
अल्लाह भगवान की दुकानों का बंद भी होना देखा है
तो रोना रोती सरकारों का अंत भी होना देखा है
from : Hindi Poems