tajurba kehta hai

tajurba kehta hai

तजुर्बा कहता है रिश्तों में फैसला रखिए
ज्यादा नजदीकियां अक्सर दर्द दे जाती है

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है

मुझसे तुम बस मोहब्बत कर लिया करो
नखरे करने में वैसे भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं

खता उनकी भी नहीं यारो वो भी क्या करते
बहुत चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करते

Shayari Of Gulzar