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माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल, 1889 को मध्य प्रदेश के बवई गांव में हुआ था। पंडित माखनलाल चतुर्वेदी हिन्दी साहित्य के प्रख्यात कवि थे। वे 'प्रभा' और 'कर्मवीर' जैसी राष्ट्रीय पत्रिकाओं के संपादक थे। उनकी कविताओं के संग्रह में शामिल हैं, 'हिम तरंगिनी', 'समर्पण', 'युग चरण', 'दीप से दीप जले', 'साहित्य देवता', 'कैसा चांद बना देती है' और 'पुष्प की अभिलाषा'। वह 1954 में अपने काम 'हिम तरंगिनी' के लिए प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता थे। 30 जनवरी, 1968 को उनका निधन हो गया।
कबीर एक आध्यात्मिक कवि थे जिनका जन्म 1440 में भारत में हुआ था। उन्हें संत कबीर के नाम से जाना जाता था, क्योंकि उनके लेखन ने भक्ति आंदोलन, सिख धर्म, संत मत और कबीर पंथ को प्रमुख रूप से प्रभावित किया है। उनकी काव्य रचनाओं में बीजक, कबीर गढ़वाली, सखी ग्रंथ और अनुराग सागर शामिल हैं। वह पहले भारतीय संत थे जिन्होंने अपने दोहों के माध्यम से हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव लाया। कबीर ने अपने दर्शन में वकालत की है कि जीवन दो आध्यात्मिक सिद्धांतों, व्यक्तिगत आत्मा (जीवात्मा) और ईश्वर (परमात्मा) का परस्पर संबंध है। कबीर की यह विचारधारा है कि मोक्ष इन दोनों सत्ताओं को एक करने की प्रक्रिया है। सन् १५१८ में संत कबीर की मृत्यु हो गई।
Ishq Toh Karta Hai Har Koyi
Mehboob Pe Marta Hai Har Koyi
Kabhi Watan Ko Mehboob Bana Kar Dekho
Fir Tujh Pe Marega Har Koyi.
इश्क तो करता है हर कोई
महबूब पे मरता है हर कोई
कभी वतन को महबूब बना कर देखो
फिर तुझ पे मारेगा हर कोई
Mera Yehi Andaaz Zamaane Ko Khalta Hai
Ki Chirag Hawa Ke Khilaf Kyun Jalta Hai
Main Aman Pasand Hoon Mere Shahar Mein Danga Rehne Do
Laal Aur Hare Mein Mat Baanto Meri Chhat Par Tiranga Rehne Do.
मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है
कि चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है
मैं अमन पसंद हूँ मेरे शहर में दंगा रहने दो
लाल और हरे में मत बांटो मेरी छत पर तिरंगा रहने दो
Zamaane Bhar Mein Milte Hain Aashiq Kayi
Magar Watan Se Khoobsurat Koyi Sanam Nahi Hota
Noton Mein Lipat Kar Mare Hain Kayi
Sone Mein Simat Kar Mare Hain Kayi Magar Tirange Se Khoobsurat Koyi Qafan Nahi Hota.
ज़माने भर में मिलते हैं आशिक कई
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता
नोटों में लिपट कर मरे हैं कई
सोने में सिमटकर मरे हैं कई मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता