Shayari Of Gulzar

gulzar shayari, gulzar ki shayari, gulzar shayari in hindi, shayari of gulzar, shayari of gulzar in hindi, gulzar quotes, guljaar shayari.

rishte nahi toda karte

rishte nahi toda karte

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है

आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इस की भी आदमी सी है

tajurba kehta hai

tajurba kehta hai

तजुर्बा कहता है रिश्तों में फैसला रखिए
ज्यादा नजदीकियां अक्सर दर्द दे जाती है

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है

मुझसे तुम बस मोहब्बत कर लिया करो
नखरे करने में वैसे भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं

खता उनकी भी नहीं यारो वो भी क्या करते
बहुत चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करते

aap ke baad har

aap ke baad har

आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई

वफा की उम्मीद ना करो उन लोगों से
जो मिलते हैं किसी और से होते है किसी और के

तमाशा करती है मेरी जिंदगी
गजब ये है कि तालियां अपने बजाते हैं

kahani shuru hui hai

khani suru huyi hai

कहानी शुरू हुई है तो खतम भी होगी
किरदार गर काबिल हुए तो याद रखे जाएंगे

मुद्दतें लगी बुनने में ख्वाब का स्वेटर
तैयार हुआ तो मौसम बदल चूका था

आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ

यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता

baki na rahe

baki na rahe

कर जा कुछ ऐसा के जीने का अफसोस बाक़ी ना रह जाए
कर दिल की हर हसरत पूरी कोई अरमान बाक़ी ना रह जाए

जिंदगी मे सबको सबकुछ मिले बेशक़ ये ज़रूरी नहीं हैं लेकिन
जो मिला है उसकी भी कहीं कोई चाहत बाक़ी ना रह जाए

मुसलसल बदलते दौरा से भी मै बख़ूबी वाकिफ़ हूँ निश़ात
सँभलना कहीं कोई फिर भी नया तजुर्बा बाक़ी ना रह जाए

मैंने तंज़ ये दुश्मन-ए-जाँ के तो मुस्कुरा के सह लिए है मगर
देखना अपनो के दिए कोई घाव जिस्म पे बाक़ी ना रह जाए