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khushboo chura ke laya hoon

happy new year wishes for love

गुलों की शाख से खुशबू चुरा के लाया हैं
गगन के पाँव से घुंघरू चुरा के लाया हैं
थिरकते कदमो से आया हैं आज नया साल
जो की तुम्हारे वास्ते खुशियाँ चुरा के लाया हैं

नए साल में तू फिर से संभल
गलत काम में न तू करना पहल
ज़माने में सब कुछ मिलेगा तुझे
बस देखने की तू अपनी नज़रें बदल

Happy New Year 2022 Wishes
ye saal hamari kismat

happy new year wishes

ये साल हमारी किस्मत को कुछ नए ढंग से आंकेगा
ये साल हमारी हिम्मत में कुछ नए सितारे टाँकेगा
इस साल अगर हम अंदर से दुःख की बदली को हटा सके
तो मुमकिन हैं इसी साल हम सबमें सूरज झांकेगा

नयी उम्मीदों से भरा यह नया साल मुबारक हो
ख़ुशी की मस्तियों के यह चाल मुबारक हो
तुम्हारे ख्वाब सभी इस बरस में पुरे हो
दुआएं दिल से तुम्हे, यह साल मुबारक हो

Happy New Year 2022 Wishes
mehnat mil jaye to acha hai

new year wishes for love

ये साल अगर इतनी मोहलत दिलवा जाए तो अच्छा हैं
ये साल अगर हमको हमसे मिलवा जाए तो अच्छा हैं
चाहे दिल की बंजर धरती सागर भर आंसू पी जाए
ये साल मगर कुछ फूल नए खिलवा जाए तो अच्छा हैं

शाखों पर सजता नये पत्तों का श्रृंगार
मीठे पकवानों की होती चारो तरफ बहार
मीठी बोली से करते, सब एक दूजे का दीदार
खुशियों के साथ चलो मनाये नव वर्ष इस बार

Happy New Year 2022 Wishes
ek aur saal purani hai

New Year wishes For Friends

ज़िन्दगी का एक और साल पूरा हुआ
कहीं खुशिया थी तो कहीं गम साथ हुआ

कितना खुशनसीब हूँ मैं कुछ पुराने चेहरे साथ हुआ
तो कुछ नए चेहरों का दीदार हुआ

किसी को हंसाया तो किसी को रुलाया
तो कभी मैं भी इन सबसे रूबरू हुआ

ज़िन्दगी का एक और साल पूरा हुआ
कहीं खुशिया थी तो कहीं गम साथ हुआ

Happy New Year 2022 Wishes
kabir das ka jivan parichay

kabir das ka jivan parichay

कबीर दास का जीवन परिचय: ऐसा मना जाता है की संत कबीर दास जी का जन्म काशी में हुआ, जन्म: विक्रमी संवत 1455 (सन् 1398 ई ) वाराणसी, (​उत्तर प्रदेश, भारत) ग्राम: मगहर (उत्तर प्रदेश, भारत) मृत्यु: विक्रमी संवत 1551 (सन् 1494 ई ) में हुआ। कवी कबीर दास एक महान समाज सुधारक के रूप में कार्य करते रहे. महंत संत कबीर दास जी का जन्म ऐसे समय में हुआ जब भारतीय समाज और धर्म का सवरूप अन्धकारमय हो रहा था. कबीर दस अपने समय में उच्च कोटि के संत थे, परन्तुं कबीर दास पढ़ें लिखे नहीं थे।

कबीर अपना बचपन बड़े दुखी के साथ बिताया, इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था परन्तु इनकी माँ ने लोक लाज के भय से इन्हे लहरतारा नामक तालाब के किनारे छोड़ दिया, इस प्रकार इनका पालन जुलाहा नामक दम्पति ने की उन्होंने अपनी सारी धार्मिक शिक्षा रामानंद नामक गुरु से ली तथा मस्जिदों में नमाज पढ़ना, मंदिरों में माला जपना, तिलक लगाना, मूर्तिपूजा करना रोजा या उपवास रखना आदि को कबीर इन सबका विरोध किये। कबीर सादगी से रहना, सादा भोजन करना पसंद करते थे। अपनी रचनाओ के माध्यम से भी वो समाज को इन आडंबरों से मुक्त करना चाहते थे। वो अपने नियमित जीवन मे भी इस तरह के आडंबरों से बहुत दूर रहते थे।

सन 1518 ई. में कबीरदास जी का मगहर में निधन हो गया, तब हिन्दू और मुसलमान में विवाद हो गया, हिन्दू अपनी प्रथा के अनुसार शव को जलाना चाहते थे जबकि मुस्लिम उनके शव को दफनाना चाहते थे। इस स्थित में जब दोनों लोगों ने चादर उठाकर देखा तो शव नहीं परन्तु फूल पड़े थे हिन्दू- मुसलमान दोनों ने फूलों को बाँट लिया और अपने विश्वास और आस्था के अनुसार उनका संस्कार किया।

जीवन परिचय